अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 
दूधनाथ सिंह

दूधनाथ सिंह का जन्म 17 अक्टूबर, 1936 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक छोटे-से गाँव सोबन्था में हुआ था।

शिक्षा: आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए की थी।

कुछ दिनों (1960-62) तक कलकत्ता में अध्यापन किया। फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग में रहे। लगभग 1960 से लेखन आरम्भ किया। आपने उपन्यास, आलोचनात्मक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, संस्मरण इत्यादि विधाओं में सृजन किया।

निधन : 12 जनवरी, 2018 को इलाहाबाद में आपका निधन हो गया।

कृतियाँ :

उपन्यास : आखिरी कलाम, निष्कासन

कहानी-संग्रह : सपाट चेहरे वाला आदमी, सुखान्त, प्रेमकथा का अन्त न कोई, माई का शोकगीत, धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे

आख्यान : नमो अंधकार लम्बी कहानी

नाटक : यमगाथा

कविता-संग्रह : अपनी शताब्दी के नाम, एक और भी आदमी है

लम्बी कविता : सुरंग से लौटते हुए (लम्बी कविता);

संस्मरण :  निराला:आत्महन्ता आस्था (निराला की कविताओं पर एक सम्पूर्ण किताब); लौट आ, ओ धार

साक्षात्कार/निबंध : कहा-सुनी

संपादन : दो शरण (निराला की भक्ति कविताएँ), तारापथ (सुमित्रानंदन पंत की कविताओं का चयन), एक शमशेर भी है, भुवनेश्वर समग्र, पक्षधर (पत्रिका - आपात काल के दौरान एक अंक का संपादन, जिसे सरकार द्वारा जब्त कर लिया गया था)

[भारत-दर्शन]

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एक आँख वाला इतिहास

मैंने कठैती हड्डियों वाला एक हाथ देखा--
रंग में काला और धुन में कठोर ।

मैंने उस हाथ की आत्मा देखी--
साँवली और कोमल
और कथा-कहानियों से भरपूर !

मैंने पत्थरों में खिंचा
सन्नाटा देखा
जिसे संस्कृति कहते हैं ।

मैंने एक आँख वाला
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