देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
माधवराव सप्रे

पं. माधवराव सप्रे का जन्म 19 जून 1871 में पथरिया, दमोह, मध्य प्रदेश में हुआ था। माधवराव सप्रे 'एक टोकरी-भर मिट्टी' के रचनाकार हैं। इस रचना को हिन्दी की पहली लघुकथा का श्रेय प्राप्त है। वैसे इस रचना को कमलेश्वर ने हिन्दी की 'पहली कहानी' के रूप में मान्यता दी थी लेकिन वर्तमान में इसे पहली कहानी न मानकर 'पहली लघुकथा' माना जाता है।

शिक्षा

माधवराव सप्रे ने मिडिल स्कूल तक की शिक्षा बिलासपुर में ली। 1887 में मिडिल की परीक्षा पास करने के पश्चात हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए आप रायपुर आ गए। हाई स्कूल से आगे की पढ़ाई जबलपुर में हुई। 1889 में आपका का विवाह हुआ। 1898 में आपने बी.ए की।

1899 में आप अध्यापन करने लगे लेकिन मन पत्रकारिता में था।

पत्रकारिता

1900 में ‘छत्तीसगढ़ मित्र' मासिक आरंभ किया। माधवराव सप्रे ने अपने मित्रों के साथ ‘छत्तीसगढ़ मित्र‘ का प्रकाशन छत्तीसगढ़ क्षेत्र में हिंदी एवं शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए ही किया था। ‘छत्तीसगढ़ मित्र‘ लगभग तीन वर्षों तक चला और अंतत: आर्थिक कठिनाइयों के कारण इसे बंद करना पड़ा।

मुख्य कृतियाँ

स्वदेशी आंदोलन और बॉयकाट, यूरोप के इतिहास से सीखने योग्य बातें, हमारे सामाजिक ह्रास के कुछ कारणों का विचार, माधवराव सप्रे की कहानियाँ (संपादन : देवी प्रसाद वर्मा)

अनुवाद : हिंदी दासबोध (समर्थ रामदास की मराठी में लिखी गई प्रसिद्ध), गीता रहस्य (बाल गंगाधर तिलक), महाभारत मीमांसा (महाभारत के उपसंहार : चिंतामणी विनायक वैद्य द्वारा मराठी में लिखी गई प्रसिद्ध पुस्तक)

संपादन : हिंदी केसरी (साप्ताहिक समाचार पत्र), छत्तीसगढ़ मित्र (मासिक पत्रिका)

निधन
23 अप्रैल 1926 को आपका निधन हो गया।

 

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