प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
काव्य
जब ह्रदय अहं की भावना का परित्याग करके विशुद्ध अनुभूति मात्र रह जाता है, तब वह मुक्त हृदय हो जाता है। हृदय की इस मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है उसे काव्य कहते हैं। कविता मनुष्य को स्वार्थ सम्बन्धों के संकुचित घेरे से ऊपर उठाती है और शेष सृष्टि से रागात्मक संबंध जोड़ने में सहायक होती है। काव्य की अनेक परिभाषाएं दी गई हैं। ये परिभाषाएं आधुनिक हिंदी काव्य के लिए भी सही सिद्ध होती हैं। काव्य सिद्ध चित्त को अलौकिक आनंदानुभूति कराता है तो हृदय के तार झंकृत हो उठते हैं। काव्य में सत्यं शिवं सुंदरम् की भावना भी निहित होती है। जिस काव्य में यह सब कुछ पाया जाता है वह उत्तम काव्य माना जाता है।

Articles Under this Category

ऐसे में मनाएं बोलो कैसे गणतंत्र? - योगेन्द्र मौदगिल


...

अश़आर - मुन्नवर राना

माँ | मुन्नवर राना के अश़आर
...

नया वर्ष  - शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

नया वर्ष कुछ ऐसा हो पिछले बरस न जैसा हो
घी में उँगली मुँह में शक्कर पास पर्स में पैसा हो ।

भूल जाएँ सब कड़वी बातें पाएँ नई नई सौगातें
नहीं काटना पड़ें वर्ष में बिन बिजली गर्मी की रातें ।
कोई घपला और घुटाला काण्ड न ऐसा-वैसा हो ।।
नया वर्ष कुछ ऐसा हो...

बच्चे खुश हों खेलें खायें रोज सभी विद्यालय जायें
पढ़ें लिखें शुभ आदत सीखें करें शरारत मौज मनायें
नहीं किसी के भी गड्ढ़े में गिरने का अंदेशा हो ।।
नया वर्ष कुछ ऐसा हो...

युवा न भटकें गलियाँ-गलियाँ मिल जाएँ सबको नौकरियाँ
राहू केतु शुभ हो जाएँ मिल जाएँ सबकी कुण्डलियाँ
लड़की ऐश्वर्या-सी लड़का अभिषेक बच्चन जैसा हो ।।
नया वर्ष कुछ ऐसा हो...

स्वस्थ रहें सब वृद्ध सयाने बच्चे उनका कहना मानें
सेवा में तत्पर हो जाएँ आफिस कोर्ट कचहरी थाने
डेंगू और चिकनगुनियाँ का अब प्रतिबन्ध हमेशा हो
नया वर्ष कुछ ऐसा हो...

नए वर्ष में नूतन नारे बना सकें नेता बेचारे
गाली बकलें कोई किसी को पर जूते चप्पल न मारे
नहीं विश्व में अन्त किसी का बेनजीर के जैसा हो ।
नया वर्ष कुछ ऐसा हो...

...

नंगोना - सुभाष मुनेश्वर | न्यूज़ीलैंड

जहाँ नंगोने की थारी
वहाँ जनता है उमड़ी भारी,
सिकुड़ गई चेहरे की चमड़ी
बिगड़ी है सूरत प्यारी,
फिर भी कुटे और छने नंगोना
चल रही प्याली पर प्याली।
...

आरजू - सुभाषिनी लता कुमार | फीजी

इंतजार की आरजू अब नहीं रही
खामोशियों की आदत हो गई है,
न कोई शिकवा है न शिकायत
अजनबियों सी हालत हो गई है।
...

तुझे पाती हूं तो जी जाती हूं  - प्रीता व्यास | न्यूज़ीलैंड

बादल ही क्यों ना फट जाएँ
तेरे पीछे मे रोती भी नहीं
मेरे आंसुओं को भी
तेरी ही
उँगलियों से पुंछने की आदत है।

तुझे पाकर ही छलकता है भरा मन
तुझे पाकर ही टूटता है बाँध
तुझे पाकर ही लौटती है होंठों पर गुनगुनाहट
तुझे पाकर ही खिलती है
उजली धूप से मुस्कान।

तुझसे ही प्राण पाती हैं
मेरी संवेदनाएं
तुझसे ही जागती है मेरी चेतना
तुझे पा लेती हूँ
तो जी जाती हूँ।
...

कवि हूँ प्रयोगशील - गोपालप्रसाद व्यास | Gopal Prasad Vyas

गलत न समझो, मैं कवि हूँ प्रयोगशील,
खादी में रेशम की गांठ जोड़ता हूं मैं।
कल्पना कड़ी-से-कड़ी, उपमा सड़ी से सड़ी,
मिल जाए पड़ी, उसे नहीं छोड़ता हूँ मैं।
स्वर को सिकोड़ता, मरोड़ता हूँ मीटर को
बचना जी, रचना की गति मोड़ता हूं मैं।
करने को क्रिया-कर्म कविता अभागिनी का,
पेन तोड़ता हूं मैं, दवात फोड़ता हूँ मैं ॥
...

व्यंग्य कोई कांटा नहीं  - गोपालप्रसाद व्यास | Gopal Prasad Vyas

व्यंग्य कोई कांटा नहीं-
फूल के चुभो दूं ,
कलम कोई नश्तर नहीं-
खून में डूबो दूं
दिल कोई कागज नहीं-
लिखूं और फाडूं
साहित्य कोई घरौंदा नहीं-
खेलूं और बिगाडूं !
...

नव वर्ष  - सोहनलाल द्विवेदी

स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, नूतन-निर्माण लिये,
इस महा जागरण के युग में
जाग्रत जीवन अभिमान लिये;

...

नव वर्ष - हरिवंशराय बच्चन

नव वर्ष
हर्ष नव
जीवन उत्कर्ष नव।

...

आओ, नूतन वर्ष मना लें - हरिवंशराय बच्चन

आओ, नूतन वर्ष मना लें!
...

हिन्दी-भक्त  - काका हाथरसी | Kaka Hathrasi

सुनो एक कविगोष्ठी का, अद्भुत सम्वाद ।
कलाकार द्वय भिडे गए, चलने लगा विवाद ।।
चलने लगी विवाद, एक थे कविवर 'घायल' ।
दूजे श्री 'तलवार', नई कविता के कायल ।।
कह 'काका' कवि, पर्त काव्य के खोल रहे थे।
कविता और अकविता को, वे तोल रहे थे ।।
...

नया साल  - भवानी प्रसाद मिश्र

पिछले साल नया दिन आया,
मैंने उसका गौरव गाया,
कहा, पुराना बीत गया लो,
आया सुख का गीत नया लो!

...

नवल हर्षमय नवल वर्ष यह - सुमित्रानंदन पंत

नवल हर्षमय नवल वर्ष यह,
कल की चिन्ता भूलो क्षण भर;
लाला के रँग की हाला भर
प्याला मदिर धरो अधरों पर!
फेन-वलय मृदु बाँह पुलकमय
स्वप्न पाश सी रहे कंठ में,
निष्ठुर गगन हमें जितने क्षण
प्रेयसि, जीवित धरे दया कर!
...

जो दीप बुझ गए हैं - दुष्यंत कुमार

जो दीप बुझ गए हैं
उनका दु:ख सहना क्या,
जो दीप, जलाओगे तुम
उनका कहना क्या,

...

मुबारक हो नया साल  - नागार्जुन

फलाँ-फलाँ इलाके में पड़ा है अकाल
खुसुर-पुसुर करते हैं, ख़ुश हैं बनिया-बकाल
छ्लकती ही रहेगी हमदर्दी साँझ-सकाल
–अनाज रहेगा खत्तियों में बन्द !
...

गए साल की - केदारनाथ अग्रवाल

गए साल की
ठिठकी ठिठकी ठिठुरन
नए साल के
नए सूर्य ने तोड़ी।
...

कुछ दोहे - अमिताभ त्रिपाठी 'अमित'

ठगिनी माया खा गई, पुण्यों की सब खीर
तन जर्जर मन भुरभुरा, आये याद कबीर
...

दो क्षणिकाएँ - डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड

कहा-सुनी
...

हलीम 'आईना' के दोहे  - हलीम 'आईना'

आज़ादी को लग चुका, घोटालों का रोग।
जिसके जैसे दांत हैं, कर ले वैसा भोग ॥
...

वर्ष नया - अजित कुमार

कुछ देर अजब पानी बरसा ।
बिजली तड़पी, कौंधा लपका ।
फिर घुटा-घुटा सा,
घिरा-घिरा
हो गया गगन का उत्तर-पूरब तरफ़ सिरा ।

...

शुभकामनाएँ - कुमार विकल

मैं भेजना चाहता हूँ
नए वर्ष की शुभकामनाएँ
दिसंबर की उजली धूप की
बची-खुची सद्भावनाएँ
किंतु कौन स्वीकार करेगा
मेरे उदास मन की भावनाएँ
क्योंकि मेरे प्रियजन जानते हैं
आजकल
मैं निराश मन हूँ
हताश तन हूँ।

...

नया वर्ष - डॉ० राणा प्रताप गन्नौरी राणा

नया वर्ष आया नया वर्ष आया,
नया हर्ष लाया नया हर्ष लाया ।

...

काश! नए वर्ष में - हलीम 'आईना'

काश! नए वर्ष में
ऐसा हो जाए।
कुर्सी हथियाने के बाद भी
हर एक सत्ताधारी
चुनाव पूर्व वाली
विनम्रता दिखलाए ।

...

नववर्ष पर.. - अमिता शर्मा

नव उमंग दो नव तरंग दो
नव उत्साह दो नव प्रवाह दो
शुभ संकल्पों से सुवासित
जीवन में जीवन भर दो ।

...

नये बरस में कोई बात नयी - रोहित कुमार 'हैप्पी'

नये बरस में कोई बात नयी चल कर लें
तुम ने प्रेम की लिखी है कथायें तो बहुत
किसी बेबस के दिल की 'आह' जाके चल सुन लें
तू अगर साथ चले जाके उसका ग़म हर लें
नये बरस में कोई बात नयी चल कर लें.....

...

नये साल का पृष्ठ - शिवशंकर वशिष्ठ

एक साल कम हुआ और इस जीवन का,
नये साल का पृष्ठ खोलने वाले सुन!
छोटी-सी है जान बबाल सैकड़ों हैं,
छुटकारे का आँख खोलकर रस्ता चुन!

...

हंसों के वंशज | गीत - राजगोपाल सिंह

हंसों के वंशज हैं लेकिन
कव्वों की कर रहे ग़ुलामी
यूँ अनमोल लम्हों की प्रतिदिन
होती देख रहे नीलामी
दर्पण जैसे निर्मल मन को
क्यों पत्थर के नाम कर दिया
...

नीरज के हाइकु - गोपालदास ‘नीरज’

जन्म मरण
समय की गति के
हैं दो चरण
...

श्रवण राही के मुक्तक  - श्रवण राही

ज़ुल्फ़ें जो अंधेरों की सँवारा नहीं करते
काँटों पे कभी हँस के गुज़ारा नहीं करते
देखा है हमने उनको किनारों पे डूबते
कश्ती को जो मौजों में उतारा नहीं करते
...

आयुर्वेदिक देसी दोहे  - भारत-दर्शन संकलन

रस अनार की कली का, नाक बूंद दो डाल।
खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
...

धन्यवाद ! गलियो, चौराहो - भारत भूषण

धन्यवाद !
गलियो, चौराहो।
हम अपने घर
लौट
चले हैं
...

नया वर्ष हो मंगलकारी - डॉ. राजीव कुमार सिंह

नया वर्ष हो सबकी खातिर मंगलकारी,
इसका प्रतिक्षण साबित हो संकट संहारी,
करे दूर यह वर्ष धरा से हर बीमारी,
मिट जाए दुनिया की हर बाधा-लाचारी।
...

तितली | बाल कविता - नर्मदाप्रसाद खरे

रंग-बिरंगे पंख तुम्हारे, सबके मन को भाते हैं।
कलियाँ देख तुम्हें खुश होतीं फूल देख मुसकाते हैं।।
...

फीजी - राजकुमार अवस्थी

प्रकृति-सुंदरी का अंत:पुर
फीजी नंदन-वन लगता है।
...

सड़कें खाली हैं - डॉ साकेत सहाय

 
...

रोटी की कीमत  - महेन्द्र देवांगन 'माटी'

रोजी रोटी पाने खातिर, भटके सारे लोग ।
कोई बंदा भूखा सोता, कोई छप्पन भोग।।
...

सात कविताएँ - डॉ. वंदना मुकेश

परिचय
...

नव वर्ष 2021 - राजीव कुमार गुप्ता

नव उमंग नव कलरव ध्वनि से
नए साल का हो सत्कार
मृदु राग मृदु करतल ध्वनि से
गुंजित हो सारा संसार।
...

मीठी यादें बचपन की  - मोनिका वर्मा

बचपन के वो दिन बड़े याद आते है..
उन यादों में हम अक्सर खो जाते है
कागज की कश्ती में सवार
अक्सर हम बड़ी दूर निकल आते है
बचपन के वो दिन बड़े याद आते है।
...

पीपल की छांव में  - उत्तरा गुरदयाल

पीपल की छांव में
अपने गाँव में
बचपन में झूला करती
थी झूला।
...

यादें - सुएता दत्त चौधरी

तुमसे जुदा हो कर
कम हुई है मेरी मुस्कान
जहाँ बैठी तुझे निहारती थी मैं
याद आता है अक्सर मुझे
वह अस्सी घाट।
...

मॉरीशस के चार कवियों की कविताएँ - भारत-दर्शन संकलन

बापू के संदेश
...

नया साल मुबारक | ग़ज़ल - शिव मोहन सिंह 'शुभ्र'

हर दिन हो त्योहार नया साल मुबारक
हो यार का दीदार नया साल मुबारक
...

जो पाया नहीं है | ग़ज़ल - ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र

जो पाया नहीं है उसकी भरपाई करनी है,
अपनी सारी हसरतों की तुरपाई करनी है।
...

दो ग़ज़लें - राजीव कुमार सिंह

लोग सच जान के---
...

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश