अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
बच्चों की कविताएं
यहाँ आप पाएँगे बच्चों के लिए लिखा बाल काव्य जिसमें छोटी बाल कविताएं, बाल गीत, बाल गान सम्मिलित हैं।

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बच्चो, चलो चलाएं चरखा - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas)

चरखा
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हिन्दी ही अपने देश का गौरव है मान है - डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'

पश्चिम की सभ्यता को तो अपना रहे हैं हम,
दूर अपनी सभ्यता से मगर जा रहे हैं हम ।
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मीठी वाणी - प्रभुद‌याल‌ श्रीवास्त‌व‌ | Prabhudyal Shrivastava

छत पर आकर बैठा कौवा,
कांव-कांव चिल्लाया|
मुन्नी को यह स्वर ना भाया,
पत्थर मार भगाया|
तभी वहां पर कोयल आई,
कुहू कुहू चिल्लाई|
उसकी प्यारी प्यारी बोली,
मुनिया के मन भाई|
मुन्नी बोली प्यारी कोयल,
रहो हमारे घर में|
शक्कर से भी ज्यादा मीठा,
स्वाद तुम्हारे स्वर में|
मीठी बोली वाणी वाले,
सबको सदा सुहाते|
कर्कश कड़े बोल वाले कब,
दुनिया को हैं भाते|
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