कविताएं |
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देश-भक्ति की कविताएं पढ़ें। अंतरजाल पर हिंदी दोहे, कविता, ग़ज़ल, गीत क्षणिकाएं व अन्य हिंदी काव्य पढ़ें। इस पृष्ठ के अंतर्गत विभिन्न हिंदी कवियों का काव्य - कविता, गीत, दोहे, हिंदी ग़ज़ल, क्षणिकाएं, हाइकू व हास्य-काव्य पढ़ें। हिंदी कवियों का काव्य संकलन आपको भेंट!
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हिंदी हम सबकी परिभाषा - डा० लक्ष्मीमल्ल सिंघवी |
कोटि-कोटि कंठों की भाषा, जनगण की मुखरित अभिलाषा, हिंदी है पहचान हमारी, हिंदी हम सबकी परिभाषा। ...
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हैरान परेशान, ये हिन्दोस्तान है - अनिल जोशी | Anil Joshi |
हैरान परेशान, ये हिन्दोस्तान है ये होंठ तो अपने हैं, पर किसकी जुबान है ...
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हिंदी जन की बोली है - गिरिजाकुमार माथुर | Girija Kumar Mathur |
एक डोर में सबको जो है बाँधती वह हिंदी है, हर भाषा को सगी बहन जो मानती वह हिंदी है। भरी-पूरी हों सभी बोलियां यही कामना हिंदी है, गहरी हो पहचान आपसी यही साधना हिंदी है, सौत विदेशी रहे न रानी यही भावना हिंदी है। ...
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हिंदी मातु हमारी - प्रो. मनोरंजन - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
प्रो. मनोरंजन जी, एम. ए, काशी विश्वविद्यालय की यह रचना लाहौर से प्रकाशित 'खरी बात' में 1935 में प्रकाशित हुई थी। ...
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हमारी हिंदी - रघुवीर सहाय | Raghuvir Sahay |
हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी है बहुत बोलनेवाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवाली ...
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हिंदी रूबाइयां - उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans |
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हिन्दी के सुमनों के प्रति पत्र - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' |
मैं जीर्ण-साज बहु छिद्र आज, तुम सुदल सुरंग सुवास सुमन, मैं हूँ केवल पतदल-आसन, तुम सहज बिराजे महाराज। ...
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हिन्दी भाषा - अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' | Ayodhya Singh Upadhyaya Hariaudh |
छ्प्पै ...
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मेरी अभिलाषा | कविता - अनिता बरार | ऑस्ट्रेलिया |
चाहती हूँ आज देना, प्यार का उपहार जग को।। ...
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हम स्वेदश के प्राण - गयाप्रसाद शुक्ल सनेही |
प्रिय स्वदेश है प्राण हमारा, हम स्वदेश के प्राण।
आँखों में प्रतिपल रहता है, ह्रदयों में अविचल रहता है यह है सबल, सबल हैं हम भी इसके बल से बल रहता है,
और सबल इसको करना है, करके नव निर्माण। हम स्वदेश के प्राण।
यहीं हमें जीना मरना है, हर दम इसका दम भरना है, सम्मुख अगर काल भी आये चार हाथ उससे करना है,
इसकी रक्षा धर्म हमारा, यही हमारा त्राण। हम स्वदेश के प्राण। ...
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युगावतार गांधी - सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi |
चल पड़े जिधर दो डग, मग में चल पड़े कोटि पग उसी ओर; गड़ गई जिधर भी एक दृष्टि गड़ गए कोटि दृग उसी ओर, ...
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गांधी कविता कोश - भारत-दर्शन |
गांधी कविता कोश - यह गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर गांधी जी पर लिखी कविताओं का कोश है। यहाँ यथासंभव सभी प्रमुख साहित्यकारों की गांधी जी पर लिखी गयी रचनाएँ संकलित की जाएंगी। ...
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अँग्रेज़ी प्राणन से प्यारी। - बरसाने लाल चतुर्वेदी |
अँग्रेज़ी प्राणन से प्यारी। चले गए अँग्रेज़ छोड़ि याहि, हमने है मस्तक पे धारी। ये रानी बनिके है बैठी, चाची, ताई और महतारी। उच्च नौकरी की ये कुंजी, अफसर यही बनावनहारी। सबसे मीठी यही लगत है, भाषाएँ बाकी सब खारी। दो प्रतिशत लपकन ने याकू, सबके ऊपर है बैठारी। याहि हटाइबे की चर्चा सुनि, भक्तन के दिल होंइ दु:खारी। दफ्तर में याके दासन ने, फाइल याही सौं रंगडारीं। याके प्रेमी हर आफिस में, विनते ये नाहिं जाहि बिसारी। ...
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हिन्दी - गौरी शंकर वैद्य ‘विनम्र’ |
भारत माता के अन्तस की निर्मल वाणी हिन्दी है। ज्ञान और विज्ञान शिरोमणि, जन-कल्याणी हिन्दी है। ...
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हिन्दी दिवस - खाक बनारसी |
अपने को आता है बस इसमें ही रस वर्ष में मना लेते एक दिन हिंदी दिवस ...
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अनुपम भाषा है हिन्दी - श्रीनिवास |
अनुपम भाषा है हिन्दी बढती आशा है हिन्दी ! ...
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हिंदी - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
हिंदी उनकी राजनीति है हिंदी इनका हथियार है हिंदी कईयों का औज़ार है। हिंदी उनके लिए भाषण है हिंदी इनके लिए जलसा है हिंदी कईयों का नारा है। जरा गिनो तो अनगनित हिंदीवालों में से कितनों को हिंदी से प्यार है? जरा बताओ तो यह कैसा अनुराग है? ...
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भटका हुआ भविष्य - अनिल जोशी | Anil Joshi |
उसने मुझे जब हिन्दी में बात करते हुए सुना, तो गौर से देखा और अपने मित्र से कहा-- 'माई लेट ग्रैंडपा यूज्ड टु स्पीक इन दिस लैंग्वेज' इस भाषा के साथ मैं उसके लिए संग्रहालय की वस्तु की तरह विचित्र था जैसे दीवार पर टंगा हुआ कोई चित्र था जिसे हार तो पहनाया जा सकता है पर गले नहीं लगाया जा सकता। ...
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एक भाव आह्लाद हो ! - डॉ० इंद्रराज बैद 'अधीर' |
थकी-हारी, मनमारी, सरकारी राज भाषा है, बड़ी दीन, पराधीन बिचारी स्वराज भाषा है । किसी के इंगितों पर डोलती यह ताज भाषा है, जिस तरह चाहो, करो, हिन्दी तुम्हारी राजभाषा है । ...
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खोजिए - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
भीड़ है शब्द हैं, नगाड़े हैं। लेकिन, गुम है-- इंसान, ओज और ताल।
खोजिए, मिल जाएं शायद-- भीड़ में इंसान शब्दों में ओज और नगाड़ों में ताल। ...
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हिन्दी भारत की भाषा - श्रीमती रेवती |
भाषा हो या हो राजनीति अब और गुलामी सहय नहीं, बलिदानों का अपमान सहन करना कोई औदार्य नहीं । रवि-रश्मि अपहरण करने को मत बढें किसी के क्रूर हाथ इन मुसकाते जल-जातों को यह सूर्य ग्रहण स्वीकार्य नहीं । ...
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हिंदी देश की शान - डॉ रमेश पोखरियाल निशंक |
एकता की सूचक हिदी भारत माँ की आन है, कोई माने या न माने हिदी देश की शान है। भारत माँ का प्राण है भारत-गौरव गान है। सैकड़ों हैं बोलियाँ पर हिदी सबकी जान है, सुंदर सरस लुभावनी ये कोमल कुसुम समान है। हृदय मिलाने वाली हिदी नित करती उत्थान है, कोई माने या न माने हिदी सत्य प्रमाण है। भारत माँ की प्राण है, भारत-गौरव गान है। सागर के सम भाव है इसमें रस तो अमृतपान है, मन को सदा लुभाती हिदी बहुरत्नों की खान है। भाषा हिदी देश की बिदी, घर ये हिदुस्तान है, कोई माने या न माने हिदी निज सम्मान है। भारत माँ की प्राण है, भारत-गौरव गान है। ...
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मेरी मातृ भाषा हिंदी - सुनीता बहल |
मेरी मातृ भाषा है हिंदी, जिसके माथे पर सुशोभित है बिंदी। देश की है यह सिरमौर, अंग्रेजी का न चलता इस पर जोर। विश्वव्यापी भाषा है चाहे अंग्रेजी, हिंदी अपनेपन का सुख देती। मेरी मातृ भाषा है हिंदी, जिसके माथे पर सुशोभित है बिंदी। ...
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आओ ! आओ ! भारतवासी । - बाबू जगन्नाथ |
आओ ! आओ ! भारतवासी । क्या बंगाली ! क्या मदरासी ! ॥ ...
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जय हिन्दी - रघुवीर शरण |
जय हिन्दी ! जय देव नागरी ! जय जय भारत माता। ‘तुलसी' 'सूर' और 'मीरा' का जीवन इसमें गाता ॥ नभ से नाद सुनें हिन्दी का, धरती पर हिन्दी हो। भारत माता के माथे पर हिन्दी की बिन्दी हो ॥ यही राष्ट्र भाषा है अपनी, यही राज भाषा है। मातृ प्रेम का मधु है इसमें, सब की अभिलाषा है । जय जय हिन्दी का जयकारा, कोटि कोटि को भाता । जय हिन्दी ! जय देवनागरी ! जय जय भारत माता !! सारी दुनिया ऊंचे स्वर से- जय जय हिन्दी ! गाये । जन जन का मन इस भाषा पर - पूजा फूल चढ़ाये ॥ चलो ! हिमालय की चोटी पर- जय जय हिन्दी गायें । हिन्दी की गंगा हिमगिरि से- दुनिया में लहरायें । हिन्दी भाषा के भारत में, गीत तिरंगा गाता । जय हिन्दी ! जय देवनागरी ! जय जय भारत माता !! ...
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गन्ने के खेतों में हिंदी के आखर - राकेश पाण्डेय |
उन गिरमिटियों की श्रमसाधना को समर्पित जिनके कारण आज हिंदी विश्वभाषा बनी। ...
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हस्ताक्षर - राजेश चेतन |
हस्ताक्षर तक हम करते हैं एक विदेशी भाषा में माना हम आज़ाद हो गए लेकिन किस परिभाषा में जन्म-दिवस पर केक काट कर गाते हम अंग्रेज़ी में शादी-ब्याह तलक की चिट्ठी छपवाते अंग्रेज़ी में ...
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राजभाषा तेरे लिए ..... - जयप्रकाश शर्मा |
राजभाषा तेरे लिए ये जान भी कुर्बान है। मात्र मेरी ही नहीं तू हम सभी की शान है।। ...
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निज भाषा उन्नति अहै - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | Bharatendu Harishchandra |
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।। अँग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन। पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।। ...
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हिंदी पर दोहे - रोहित कुमार 'हैप्पी' |
बाहर से तो पीटते, सब हिंदी का ढोल। अंतस में रखते नहीं, इसका कोई मोल ।। ...
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हिन्दी–दिवस नहीं, हिन्दी डे - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
हिन्दी दिवस पर एक नेता जी बतिया रहे थे, 'मेरी पब्लिक से ये रिक्वेस्ट है कि वे हिन्दी अपनाएं इसे नेशनवाइड पापुलर लेंगुएज बनाएं और हिन्दी को नेशनल लेंगुएज बनाने की अपनी डयूटी निभाएं।' ...
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हिन्दी - गयाप्रसाद शुक्ल सनेही |
अच्छी हिन्दी ! प्यारी हिन्दी ! हम तुझ पर बलिहारी ! हिन्दी !!
सुन्दर स्वच्छ सँवारी हिन्दी । सरल सुबोध सुधारी हिन्दी । हिन्दी की हितकारी हिन्दी । जीवन-ज्योति हमारी हिन्दी । अच्छी हिन्दी ! प्यारी हिन्दी ! हम तुझ पर बलिहारी हिन्दी !! ...
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कलयुग | मुक्तक - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
कलयुग में पाई है बस यही शिक्षा हर बात पर मांगें हैं अग्नि-परीक्षा बुद्ध भी अगर आज उतरें धरा पर मांगे ना देगा उन्हें कोई भिक्षा। ...
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एक भारत मुझमें बसता है - आराधना झा श्रीवास्तव |
देश त्याग परदेस बसे ये कह मुझ पर जो हँसता है मैं जहाँ जाऊँ, जहाँ भी रहूँ एक भारत मुझमें बसता है। ...
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मिट्टी की खुशबू - डॉ अनीता शर्मा |
कोई पूछता है, कौन सा इत्र है? खुशबू गज़ब की आती है! तब बीता कल मुस्काता है इक याद जवां हो जाती है ...
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प्रदूषण - बासुदेव अग्रवाल नमन |
बढ़ा प्रदूषण जोर। इसका कहीं न छोर।। संकट ये अति घोर। मचा चतुर्दिक शोर।। ...
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सिर्फ़ बातें नहीं अब वह बात चाहिए - ममता मिश्रा, नीदरलैंड |
करें कल्याण हिंदी का ऐसे कुछ हाथ चाहिए। नारों और सभाओं की चौखट से उठाकर जो धरें शीर्ष पर इसको ऐसे कुछ नाथ चाहिएँ। सिर्फ़ बातें नहीं ... ...
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