अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
हाइकु
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कोरोना हाइकु - बासुदेव अग्रवाल नमन

कोरोनासुर
विपदा बन कर
टूटा भू पर।
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