कविताएं |
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देश-भक्ति की कविताएं पढ़ें। अंतरजाल पर हिंदी दोहे, कविता, ग़ज़ल, गीत क्षणिकाएं व अन्य हिंदी काव्य पढ़ें। इस पृष्ठ के अंतर्गत विभिन्न हिंदी कवियों का काव्य - कविता, गीत, दोहे, हिंदी ग़ज़ल, क्षणिकाएं, हाइकू व हास्य-काव्य पढ़ें। हिंदी कवियों का काव्य संकलन आपको भेंट!
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Articles Under this Category |
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साहित्य - प्रताप नारायण मिश्र |
जहाँ न हित-उपदेश कुछ, सो कैसा साहित्य? हो प्रकाश से रहित तो, कौन कहे आदित्य? ...
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प्रेम के कई चेहरे - सुषम बेदी |
वाटिका की तापसी सीता का नकटी शूर्पणखा का चिर बिरहन गोपिका का जुए में हारी द्रौपदी का यम को ललकारती सावित्री का। ...
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वारिस शाह से - अमृता प्रीतम |
आज वारिस शाह से कहती हूँ अपनी कब्र में से बोलो और इश्क की किताब का कोई नया वर्क खोलो पंजाब की एक बेटी रोई थी तूने एक लंबी दास्तान लिखी आज लाखों बेटियाँ रो रही हैं, वारिस शाह तुम से कह रही हैं ऐ दर्दमंदों के दोस्त पंजाब की हालत देखो चौपाल लाशों से अटा पड़ा हैं, चिनाव लहू से भरी पड़ी है किसी ने पाँचों दरिया में एक जहर मिला दिया है और यही पानी धरती को सींचने लगा है इस जरखेज धरती से जहर फूट निकला है देखो, सुर्खी कहाँ तक आ पहुँची और कहर कहाँ तक आ पहुँचा फिर जहरीली हवा वन जंगलों में चलने लगी उसमें हर बाँस की बाँसुरी जैसे एक नाग बना दी नागों ने लोगों के होंठ डस लिये और डंक बढ़ते चले गये और देखते देखते पंजाब के सारे अंग काले और नीले पड़ गये हर गले से गीत टूट गया हर चरखे का धागा छूट गया सहेलियाँ एक दूसरे से छूट गईं चरखों की महफिल वीरान हो गईमल्लाहों ने सारी कश्तियाँ सेज के साथ ही बहा दीं पीपलों ने सारी पेंगें टहनियों के साथ तोड़ दीं जहाँ प्यार के नगमे गूँजते थे वह बाँसुरी जाने कहाँ खो गई और रांझे के सब भाई बाँसुरी बजाना भूल गये धरती पर लहू बरसा क़ब्रें टपकने लगीं और प्रीत की शहजादियाँ मजारों में रोने लगीं आज सब कैदो बन गए हुस्न इश्क के चोर मैं कहाँ से ढूँढ के लाऊँ एक वारिस शाह और... ...
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अगर तुम राधा होते श्याम - काजी नज़रुल इस्लाम |
अगर तुम राधा होते श्याम। मेरी तरह बस आठों पहर तुम, रटते श्याम का नाम।। वन-फूल की माला निराली वन जाति नागन काली कृष्ण प्रेम की भीख मांगने आते लाख जनम। तुम, आते इस बृजधाम।। ...
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संगीत पार्टी - सुषम बेदी |
तबले पर कहरवा बज रहा था। सुनीता एक चुस्त-सा फिल्मी गीत गा रही थी। आवाज़ मधुर थी पर मँजाव नहीं था। सो बीच-बीच में कभी ताल की गलती हो जाती तो कभी सुर ठीक न लगता। ...
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आदिम स्वप्न - रीता कौशल | ऑस्ट्रेलिया |
तुम मन में, तुम धड़कन में जीवन के इक इक पल में मोहपाश में बँधे तुम्हारे हमें थाम कर बनो हमारे। ...
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अर्थहीन - रीता कौशल | ऑस्ट्रेलिया |
कटु वचनों से आहत कर पींग प्रेम की अर्थहीन है। प्रेम समर्पण का नाम दूजा है हक समझ पाना अर्थहीन है। ...
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सफाई - डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड | न्यूज़ीलैंड |
पूछा हमसे किसी ने तुम्हें अपनी सफाई में कुछ कहना है? हमने भी इस प्रश्न पर कुछ गहराई से विचार किया। नतीजा यही निकला कि जब सफाई देने की ही नौबत आ गई तो फिर कहने या ना कहने से भी क्या फर्क पड़ता है? ...
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सुखी आदमी - केदारनाथ सिंह | Kedarnath Singh |
आज वह रोया यह सोचते हुए कि रोना कितना हास्यास्पद है वह रोया ...
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सोऽहम् | कविता - चंद्रधर शर्मा गुलेरी | Chandradhar Sharma Guleri |
करके हम भी बी० ए० पास हैं अब जिलाधीश के दास । पाते हैं दो बार पचास बढ़ने की रखते हैं आस ॥१॥ ...
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सुनीति | कविता - चंद्रधर शर्मा गुलेरी | Chandradhar Sharma Guleri |
निज गौरव को जान आत्मआदर का करना निजता की की पहिचान, आत्मसंयम पर चलना ये ही तीनो उच्च शक्ति, वैभव दिलवाते, जीवन किन्तु न डाल शक्ति वैभव के खाते । (आ जाते ये सदा आप ही बिना बुलाए ।) चतुराई की परख यहाँ-परिणाम न गिनकर, जीवन को नि:शक चलाना सत्य धर्म पर, जो जीवन का मन्त्र उसी हर निर्भय चलना, उचित उचित है यही मान कर समुचित ही करना, यो ही परमानंद भले लोगों ने पाए ।। ...
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फ़ादर बुल्के तुम्हें प्रणाम - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan |
फ़ादर बुल्के तुम्हें प्रणाम! जन्मे और पले योरुप में पर तुमको प्रिय भारत धाम फ़ादर बुल्के तुम्हें प्रणाम! ...
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भारत की जय | कविता - चंद्रधर शर्मा गुलेरी | Chandradhar Sharma Guleri |
हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, क्रिस्ती, मुसलमान पारसीक, यहूदी और ब्राह्मन भारत के सब पुत्र, परस्पर रहो मित्र रखो चित्ते गणना सामान मिलो सब भारत संतान एक तन एक प्राण गाओ भारत का यशोगान ...
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खूनी पर्चा - वंशीधर शुक्ल |
अमर भूमि से प्रकट हुआ हूं, मर-मर अमर कहाऊंगा, जब तक तुझको मिटा न लूंगा, चैन न किंचित पाऊंगा। तुम हो जालिम दगाबाज, मक्कार, सितमगर, अय्यारे, डाकू, चोर, गिरहकट, रहजन, जाहिल, कौमी गद्दारे, खूंगर तोते चश्म, हरामी, नाबकार और बदकारे, दोजख के कुत्ते खुदगर्जी, नीच जालिमों हत्यारे, अब तेरी फरेबबाजी से रंच न दहशत खाऊंगा, जब तक तुझको...। ...
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प्रक्रिया - श्रीकांत वर्मा |
मैं क्या कर रहा था जब सब जयकार कर रहे थे? मैं भी जयकार कर रहा था - डर रहा था जिस तरह सब डर रहे थे। मैं क्या कर रहा था जब सब कह रहे थे, ‘अजीज मेरा दुश्मन है?' मैं भी कह रहा था, ‘अजीज मेरा दुश्मन है।' मैं क्या कर रहा था जब सब कह रहे थे, ‘मुँह मत खोलो?' मैं भी कह रहा था, ‘मुँह मत खोलो बोला जैसा सब बोलते हैं।' खत्म हो चुकी है जयकार, अजीज मारा जा चुका है, मुँह बंद हो चुके हैं। हैरत में सब पूछ रहे हैं, यह कैसे हुआ? जिस तरह सब पूछ रहे हैं उसी तरह मैं भी यह कैसे हुआ? ...
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प्रदूषण का नाम प्लास्टिक - कुमार जितेन्द्र "जीत" |
धरा पर ढेर लग रहे हैं, प्लास्टिक से कृत्रिम पहाड़ बन रहे हैं , प्लास्टिक से ...
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कोमल मैंदीरत्ता की दो कवितायें - कोमल मैंदीरत्ता |
मेरी अपनी किताबों की दुनिया ...
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