अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
दोहे
दोहा मात्रिक अर्द्धसम छंद है। इसके पहले और तीसरे चरण में 13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। इस प्रकार प्रत्येक दल में 24 मात्राएं होती हैं। दूसरे और चौथे चरण के अंत में लघु होना आवश्यक है। दोहा सर्वप्रिय छंद है।

कबीर, रहीम, बिहारी, उदयभानु हंस, डा मानव के दोहों का संकलन।

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रोचक दोहे  - विकल

यह दोहे अत्यंत पठनीय व रोचक हैं चूंकि यह असाधारण दोहे हैं जिनमें न केवल लोकोक्तियाँ तथा मुहावरे प्रयोग किए गए हैं बल्कि उनका अर्थ भी दोहे में सम्मिलित है।
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महानगर पर दोहे  - राजगोपाल सिंह

अद्भुत है, अनमोल है, महानगर की भोर
रोज़ जगाता है हमें, कान फोड़ता शोर
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कबीर दोहे -6  - कबीरदास | Kabirdas

तब लग तारा जगमगे, जब लग उगे न सूर ।
तब लग जीव जग कर्मवश, ज्यों लग ज्ञान न पूर ॥ 101 ॥
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पत्रकारिता : तब और अब | डॉ रामनिवास मानव के दोहे - डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav

पत्रकारिता थी कभी, सचमुच मिशन पुनीत।
त्याग तपस्या से भरा, इसका सकल अतीत।।
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