अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
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श्रमिक हाइकु - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

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