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बाल-साहित्य |
बाल साहित्य के अन्तर्गत वह शिक्षाप्रद साहित्य आता है जिसका लेखन बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर किया गया हो। बाल साहित्य में रोचक शिक्षाप्रद बाल-कहानियाँ, बाल गीत व कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी साहित्य में बाल साहित्य की परम्परा बहुत समृद्ध है। पंचतंत्र की कथाएँ बाल साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। हिंदी बाल-साहित्य लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। पंचतंत्र, हितोपदेश, अमर-कथाएँ व अकबर बीरबल के क़िस्से बच्चों के साहित्य में सम्मिलित हैं। पंचतंत्र की कहानियों में पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर बच्चों को बड़ी शिक्षाप्रद प्रेरणा दी गई है। बाल साहित्य के अंतर्गत बाल कथाएँ, बाल कहानियां व बाल कविता सम्मिलित की गई हैं। |
Articles Under this Category |
अक्कड़ मक्कड़ - भवानी प्रसाद मिश्र | Bhawani Prasad Mishra |
अक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़ |
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स्वर्ग की खोज | तेनालीराम - भारत-दर्शन |
महाराज कृष्णदेव राय के सबसे प्रिय थे तेनालीराम, वे उनकी बुद्धिमता से प्रभावित थे। इसी कारण दरबार के कुछ लोग तेनालीराम से ईर्ष्या भी करते थे। महाराज कृष्णदेव राय यह विश्वास करते थे कि संसार-ब्रह्मांड की सबसे उत्तम और मनमोहक जगह स्वर्ग है। एक बार अचानक महाराज को स्वर्ग देखने की इच्छा हुई, उन्होंने दरबार में उपस्थित मंत्रियों से पूछा, “बताइए स्वर्ग कहां है?” |
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शतरंज का जादू - गुणाकर मुले |
‘शतरंज के खेल के नियमों को आप न भी जानते हों तो कम से कम इतना तो सभी जानते हैं कि शतरंज चौरस पटल पर खेला जाता है । इस पटल पर ६४ छोटे-छोटे चौकोण होते हैं। |
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गवैया गधा - विष्णु शर्मा |
एक धोबी के पास एक गधा था। गधा हर रोज मैले कपड़ों की गठरी पीठ पर लादकर घाट पर जाता और संध्या समय धुले कपड़ों का गट्ठर लेकर घर लौट आता। यही उसकी दिनचर्या थी। रात में धोबी उसे खुला छोड़ देता। |
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शेर और चूहा - ईसप |
एक शेर जंगल में अपने पंजों पर अपना भारी भरकम सिर टिकाए आराम कर रहा था। अचानक एक चूहा उसके ऊपर आ कर गिरा और डरकर शेर के मुख की और भागने लगा। शेर को बहुत गुस्सा आया। उसने चूहे को अपने पंजों में जकड लिया और कहा, "तेरी यह हिम्मत? मैं अभी तुझे खा सकता हूँ।" |
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माँ मारेंगी ! - रघुवीर शरण |
अगर हाथ देंगे नाली में, माँ मारेंगी । |
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मत बाँटो इंसान को | बाल कविता - विनय महाजन |
मंदिर-मस्जिद-गिरजाघर ने |
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