अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
बच्चों की कविताएं
यहाँ आप पाएँगे बच्चों के लिए लिखा बाल काव्य जिसमें छोटी बाल कविताएं, बाल गीत, बाल गान सम्मिलित हैं।

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दही-बड़ा - श्रीप्रसाद

सारे चूहों ने मिल-जुलकर
एक बनाया दही-बड़ा।
सत्तर किलो दही मँगाया
फिर छुड़वाया दही-बड़ा॥
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होली | बाल कविता - गीत माला

होली आई, होली आई,
रंग उड़ाती होली आई।
नन्हें-मुन्नों को भाति होली आई,
अबीर-गुलाल से खेलो होली भाई।
मतवालों की टोली चिल्लाती आई,
इन्हें गुज़िया खिलाओ भाई,
होली आई, होली आई।
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होली | बाल कविता - गुलशन मदान


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