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भारत के प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन - 24 मार्च 2020 - भारत-दर्शन समाचार |
24 मार्च 2020 |
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भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी - भारत-दर्शन |
डॉ आनंदी गोपाल जोशी (31 मार्च 1865 - 26 फ़रवरी, 1887) उस दौर में डॉक्टर बनीं जब समाज की सोच महिला शिक्षा को लेकर व्यापक नहीं थी। उनका जन्म 31 मार्च 1865 को महाराष्ट्र में हुआ था। आनंदी को उस दौर के महिला शिक्षा विरोध का सामना भी करना पड़ा। |
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कोरोना वायरस : कोविड-19 सूचना, आंकड़े और उपकरण | COVID-19 - भारत-दर्शन |
भारत-दर्शन द्वारा उपलब्ध कोरोना वायरस - कोविड-19 आंकड़े व समाचार |
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आपसी प्रेम एवं एकता का प्रतीक है होली - डा. जगदीश गांधी |
'होली' भारतीय समाज का एक प्रमुख त्यौहार |
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गिर जाये मतभेद की हर दीवार ‘होली’ में! - डा. जगदीश गांधी |
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होली से मिलते जुलते त्योहार - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
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हिन्दी की होली तो हो ली - गोपालप्रसाद व्यास | Gopal Prasad Vyas |
(इस लेख का मज़मून मैंने होली के ऊपर इसलिए चुना कि 'होली' हिन्दी का नहीं, अंग्रेजी का शब्द है। लेकिन खेद है कि हिंदुस्तानियों ने इसकी पवित्रता को नष्ट करके एकदम गलीज़ कर दिया है। हिन्दी की होली तो हो ली, अब तो समूचे भारत में अंग्रेजी की होली ही हरेक चौराहे पर लहक रही है।) |
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डॉ विनायक कृष्ण गोकाक - भारत-दर्शन |
डॉ विनायक कृष्ण गोकाक का जन्म 9 अगस्त, 1909 को उत्तर कर्नाटक के सावानर में हुआ था। आपको 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित कन्नड़ भाषा के प्रमुख साहित्यकारों में गिना जाता है। |
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होलिका-दहन | पृथ्वीराज चौहान का प्रश्न - भारत दर्शन संकलन |
एक समय राजा पृथ्वीराज चौहान ने अपने दरबार के राज-कवि चन्द से कहा कि हम लोगों में जो होली के त्योहार का प्रचार है, वह क्या है? हम सभ्य आर्य लोगों में ऐसे अनार्य महोत्सव का प्रचार क्योंकर हुआ कि आबाल-वृद्ध सभी उस दिन पागल-से होकर वीभत्स-रूप धारण करते तथा अनर्गल और कुत्सित वचनों को निर्लज्जता-पूर्वक उच्चारण करते है । यह सुनकर कवि बोला- ''राजन्! इस महोत्सव की उत्पत्ति का विधान होली की पूजा-विधि में पाया जाता है । फाल्गुन मास की पूर्णिमा में होली का पूजन कहा गया है । उसमें लकड़ी और घास-फूस का बड़ा भारी ढेर लगाकर वेद-मंत्रो से विस्तार के साथ होलिका-दहन किया जाता है । इसी दिन हर महीने की पूर्णिमा के हिसाब से इष्टि ( छोटा-सा यज्ञ) भी होता है । इस कारण भद्रा रहित समय मे होलिका-दहन होकर इष्टि यज्ञ भी हो जाता है । पूजन के बाद होली की भस्म शरीर पर लगाई जाती है । |
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