अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
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प्रतिनिधि निबंधों व समालोचनाओं का संकलन आलेख, लेख और निबंध.

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माँ का संवाद – लोरी -  इलाश्री जायसवाल

माँ बनना स्वयं में एक आनन्ददायी व संपूर्ण अनुभव है। यह प्रक्रिया तभी से आरंभ हो जाती है जब एक स्त्री गर्भ धारण करती है। गर्भ धारण करने से लेकर शिशु के जन्म तक स्त्री शिशु से अनेक प्रकार से संवाद करती है फिर चाहे वह संवाद उसकी भावनाओं का हो या पेट पर हाथ फेरकर सहलाने का हो। शिशु समस्त भावों को समझता है तभी तो गर्भवती स्त्रियों को अच्छा संगीत सुनने, अच्छी पुस्तकें पढ़ने अथवा अच्छा सोचने के लिए कहा जाता है।
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यात्रा अमरनाथ की  - गोवर्धन यादव

आपने अब तक अपने जीवन में अनगिनत यात्राएं की होगी लेकिन किन्हीं कारणवश आप अमरनाथ की यात्रा नहीं कर पाएं है तो आपको एक बार बर्फ़ानी बाबा के दर्शनों के लिए अवश्य जाना चाहिए। दम निकाल देने वाली खड़ी चढ़ाइयां, आसमान से बातें करती, बर्फ़ की चादर में लिपटी-ढंकी पर्वत श्रेणियां, शोर मचाते झरने, बर्फ़ की ठंडी आग को अपने में दबाये उद्दंड हवाएं जो आपके जिस्म को ठिठुरा देने का माद्दा रखती हैं। कभी बारिश आपका रास्ता रोककर खड़ी हो जाती है तो कहीं नियति नटी अपने पूरे यौवन के साथ आपको सम्मोहन में उलझा कर आपका रास्ता भ्रमित कर देती है। वहीं असंख्य शिव-भक्त बाबा अमरनाथ के जयघोष के साथ, पूरे जोश एवं उत्साह के साथ आगे बढ़ते दिखाई देते हैं और आपको अपने साथ भक्ति की चाशनी में सराबोर करते हुए आगे, निरन्तर आगे बढ़ते रहने का मंत्र आपके कानों में फूँक देते हैं। कुछ थोड़े से लोग जो शारीरिक रुप से अपने आपको इस यात्रा के लिए अक्षम पाते हैं, घोड़े की पीठ पर सवार होकर बाबा का जयघोष करते हुए खुली प्रकृति का आनन्द उठाते हुए, अपनी यात्राएं संपन्न करते हैं। सारी कठिनाइयों के बावजूद न तो वे हिम्मत हारते हैं और न ही उनका मनोबल डिगता है। प्रकृति निरन्तर आगे बढ़ते रहने के लिए आपको प्रेरित करती है। रास्ते में जगह-जगह भंडारे वाले आपका रास्ता, बड़ी मनुहार के साथ रोकते हुए, हाथ जोड़कर विनती करते हैं कि बाबा की प्रसादी खाकर ही जाइए। भंडारे में आपको आपके मन पसंद व्यंजन खाने को मिलेंगे। कहीं कढ़ाहे में केसर डला दूध औट रहा है, तो कहीं इमरती सिक रही होती है। बरफ़ी, पेड़ा, बूंदी, कचौडियां और न जाने कितने ही व्यंजन आपको खाने को मिलेंगे, वो भी बिना कोई कीमत चुकाए।
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1857 के आन्दोलन में उत्तर प्रदेश का योगदान - जयकिशन परिहार / प्रशांत कक्कड़

देश के स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन के समय उत्तर प्रदेश को संयुक्त प्रांत कहा जाता था। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में इस प्रांत की भूमिका काफी अहम मानी जाती है। भौगोलिक स्थिति के अनुसार उत्तर प्रदेश देश का एक मुख्य राज्य है और इसकी देश के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका रही है। 1857 का विद्रोह हो या गांधीजी के नेतृत्व में चला स्वतंत्रता संग्राम, इन आंदोलनों को प्रदेश में भरपूर समर्थन मिला।
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