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लघुकथाएं |
लघु-कथा, *गागर में सागर* भर देने वाली विधा है। लघुकथा एक साथ लघु भी है, और कथा भी। यह न लघुता को छोड़ सकती है, न कथा को ही। संकलित लघुकथाएं पढ़िए -हिंदी लघुकथाएँ व प्रेमचंद की लघु-कथाएं भी पढ़ें। |
Articles Under this Category |
देशभक्ति का पारितोषिक - प्रवीण जैन |
चोर एक घर में घुसा। उस समय वहाँ टेलीविज़न चल रहा था। टेलीविज़न पर राष्ट्रीय गान आरंभ हो गया। चोर सावधान की मुद्रा में वहीं सावधान खड़ा हो गया। गृहस्वामी ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। न्यायाधीश महोदय ने देशभक्ति के पारितोषिक स्वरूप चोर को इज्जत सहित बरी कर दिया और गृहस्वामी को राष्ट्रीय गान का अपमान करने पर सज़ा सुना दी। |
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लायक बच्चे - रोहित कुमार 'हैप्पी' |
अकेली माँ ने उन पांच बच्चों की परवरिश करके उन्हें लायक बनाया। पांचों अपने पाँवों पर खड़े थे। |
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अर्जुन या एकलव्य - रोहित कुमार हैप्पी |
'अर्जुन और एकलव्य' की कहानी सुनाकर मास्टर जी ने बच्चों से पूछा, "तुम अर्जुन बनोगे या एकलव्य?" |
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घमंड कब तक - अयोध्याप्रसाद गोयलीय |
"नानी, यह ऊँट इतना उछल-कूद क्यों रहा है?" |
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