देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
लघुकथाएं
लघु-कथा, *गागर में सागर* भर देने वाली विधा है। लघुकथा एक साथ लघु भी है, और कथा भी। यह न लघुता को छोड़ सकती है, न कथा को ही। संकलित लघुकथाएं पढ़िए -हिंदी लघुकथाएँप्रेमचंद की लघु-कथाएं भी पढ़ें।

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बदला हुआ मौसम  - रोहित कुमार 'हैप्पी'

अचानक हिंदी पर गोष्ठियां, सम्मेलन व तरह-तरह के समारोह आयोजित होने लगे थे।  हिंदी नारे बुलंदियो पर थे। सरकारी संगठनो से साठ-गांठ के ताबड़तोड़ प्रयास भी जोरों पर थे।
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मेजबान - खलील जिब्रान

'कभी हमारे घर को भी पवित्र करो।' करूणा से भीगे स्वर में भेड़िये ने भोली-भाली भेड़ से कहा।
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सुखद समाचार - शेख़ सादी

एक अरब बादशाह बीमार था। उसके जीने की कोई आशा न थी। वैद्यों ने जवाब दे दिया था। इन्हीं दिनों एक सवार ने आकर उसे किसी किले की फतह का सुखद समाचार सुनाया। बादशाह ने लंबी सांस लेकर कहा, 'यह ख़बर मेरे लिए नहीं, मेरे उत्‍तराधिकारियों के लिए सुखदायक हो सकती है।'
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दो फ़कीर - शेख़ सादी

दो फ़कीर थे। उनकी आपस में गहरी दोस्ती थी पर दोनों की शक्ल-सूरत और खान-पान में बड़ा अन्तर था। एक मोटा-मुस्टंड़ा था व दिन में कई-कई बार खाने पर हाथ साफ़ करता था। पर दूसरा कई-कई दिन उपवास करता था, इसलिए वह दुबला-पतला था।
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निंदा  - शेख़ सादी

शेख़ सादी बाल्यावस्था में अपने पिता के साथ मक्का जा रहे थे। सादी सारी रात कुरान पढ़ते रहे। कई आदमी उनके पास खर्राटे ले रहे थे। सादी ने अपने पिता से कहा, इन सोने वालों को देखिये, कितने आलसी हैं! नमाज़ पढ़ना तो दूर रहा कोई सुबह उठता तक नहीं।

पिता ने उत्‍तर दिया, "बेटा, तू भी सोया रहता तो अच्छा था। किसी की निंदा करने से तो बचा रहता!"
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अन्दर की बात | लघु-कथा - रोहित कुमार 'हैप्पी'

शहर में आंदोलन चल रहा था।
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