देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।

फिज़ी द्वीप में मेरे 21 वर्ष

 (कथा-कहानी) 
Print this  
रचनाकार:

 तोताराम सनाढ्य | फीजी

यदि आप शर्तबंध मज़दूरों यानी अनुबंधित श्रमिकों के बारे में जानना चाहते हैं तो फ़िजी प्रवास पर लिखी गई तोताराम सनाढय की पुस्तक इस क्रम में सर्वश्रेष्ठ कही जा सकती है। वे स्वयं अनुबंधित श्रमिक के रूप में फ़िजी गए थे और इसके यह आत्मकथा उन हज़ारों श्रमिकों की कहानी है जो धोखे से, झूठे सब्ज़बाग दिखाके फ़िजी भेज दिए गए थे।

किस तरह भारत में बसे आरकटों ने भोले-भाले मजबूर लोगों को सातसमंदर पार मज़दूरी करने भेज दिया - यह पुस्तक उन श्रमिकों के क्रंदन, उनकी त्रासदी की कथा है।

Back
More To Read Under This
ग्रंथकर्ता की प्रार्थना | फ़िजी की कहानी
फ़िजीद्वीप में मेरे 21 वर्ष
जहाज का वृतांत
फिजीद्वीप
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें