मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर। - चंद्रबली पांडेय।

चारों मूर्ख हाजिर हैं | अकबर बीरबल के किस्से

 (बाल-साहित्य ) 
Print this  
रचनाकार:

 अकबर बीरबल के किस्से

एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल को आदेश दिया, "चार ऐसे मूर्ख ढूंढकर लाओ जो एक से बढ़कर एक हों। यह काम कोई कठिन नहीं है क्योंकि हमारा राज्य तो क्या, पूरी दुनिया मूर्खों से भरी पड़ी है।"

अकबर बादशाह की आज्ञा से बीरबल नगर में मूर्खों को ढूंढने निकले।घूमते-फिरते उन्होंनें एक आदमी को देखा जो एक थाल में जोड़े-बीडे अौर मिठाई लिए जल्दी-जल्दी कहीं जा रहा था।

बीरबल ने कठिनाई से उसे रोककर पूछा, "भाई! यह सामान लिए कहां जा रहे हो?"

"मेरी औरत ने दूसरा पति किया है, जिससे उसे पुत्र उत्पन्न हुआ है,  इसलिए उसे बधाई देने जा रहा हूं।" उस व्यक्ति ने कहा।

बीरबल ने उसे अकबर बादशाह की इच्छानुकूल मूर्ख समझकर अपने साथ ले लिया।

आगे चलकर उन्हें एक और आदमी मिला जो घोड़ी पर सवार था। वह सिर पर घास का बोझ रखे हुए था।

बीरबल ने उससे पूछा, "भाई, यह बोझ तुमने सिर पर क्यों रखा है?"

"मेरी घोडी ग़र्भिणी है। इसलिए इसे अपने सिर पर रखा है क्योंकि इस पर रखने से बोझ अधिक हो जाएगा।" उस आदमी ने जवाब दिया।

बीरबल ने उसको भी अपने साथ ले लिया। दोनों को लेकर दरबार में पहुंचे और अकबर बादशाह से प्रार्थना की कि चारों मूर्ख हाजिर हैं।

अकबर बादशाह ने कहा, "यह तो केवल दो हैं ! बाकी दो कहां हैं?"

तभी बीरबल बोले, "तीसरे आप हैं। जो ऐसे मूर्खों को इकठ्ठा करते हैं और चौथा मैं हूं जो ढूंढकर लाया हूँ ।"

अकबर बादशाह बीरबल के जवाब से अत्यधिक प्रसन्न हुए और जब उन्हें उन दोनों आदमियों की मूर्खता का पता चला तो बहुत हँसे।

[भारत-दर्शन संकलन]

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश