भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।

अजनबी नज़रों से | ग़ज़ल

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 राजगोपाल सिंह

अजनबी नज़रों से अपने आप को देखा न कर
आइनों का दोष क्या है? आइने तोड़ा न कर

यह भी मुमकिन है ये बौनों का नगर हो इसलिए
छोटे दरवाज़ों की ख़ातिर अपना क़द छोटा न कर

यह सनक तुझको भी पत्थर ही न कर डाले कहीं
हर किसी पत्थर को पारस जानकर परखा न कर

रात भी गुज़रेगी, कल सूरज भी निकलेगा ज़रूर
ये अंधेरे चन्द लमहों के हैं, जी छोटा न कर

काँच सारी खिड़कियों के धूप ने चटका दिए
वक़्त की चेतावनी को और अनदेखा न कर

- राजगोपाल सिंह

 

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश