अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

भूल कर भी न बुरा करना | ग़ज़ल

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'

भूल कर भी न बुरा करना
जिस क़दर हो सके भला करना।

सीखना हो तो शमअ़ से सीखो
दूसरों के लिए जला करना।

रह के तूफ़ां में हम ने सीखा है
तेज़ लहरों का सामना करना।

भूल कर ही सही कभी 'राणा'
याद हम को भी कर लिया करना।

- डा राणा प्रताप सिंह राणा गन्नौरी

 

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