यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।

उदयभानु ‘हंस' के हाइकु

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans

युवक जागो!
अपना देश छोड़
यूँ मत भागो!

#

नारी-जीवन --
कभी मिले सिन्दूर
कभी तन्दूर।

#

सब हैरान
क्रिकेट का खेल है 
सोने की खान!

#

गुप्त व्यापार
प्रकट हो जाए तो
है भ्रष्टाचार।

#

तुम स्वतन्त्र
फिल्मी गानों को सुनों
या वेदमन्त्र।

-डॉ. उदयभानु ‘हंस'

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश