प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।

समय (काव्य)

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Author: हर्षवर्धन व्यास

समय समय पर समय समझकर समय काटना होता है
समय के आगे समय के पीछे कभी भागना होता है
समय बदलता मानव की हर आशंका की परिभाषा
समय बदलता जीवन की है जीवन से जो अभिलाषा

समय चढ़ाये समय उतारे, समय बिगाड़े समय बनाये
समय ही जोड़े समय ही तोड़े, समय किसी को खुला न छोडे
समय की रचना धर्माधर्म है, समय से ही है पुण्य और पाप
समय से जल की शीतलता है, समय से है अग्नि का ताप

समय के पहले ना कुछ था और ना कुछ होगा समय के बाद
समय रहा है, समय रहेगा, सबसे पहले, सबके बाद
समय का ना कोई आदि होता, समय का ना कोई होता अंत
समय करे सृष्टि की रचना, समय करे सृष्टि का अंत

समय के हाथों चलता मानव, समय के हाथों उसकी डोर
समय बदलता उसकी दृष्टि, बदल-बदल कर अपने छोर
समय उसे आशाएं देता, समय ही देता लाचारी
समय के अंतर्गत है होती, प्रगति-अधोगति सारी

समय बनाता साम्राज्यों को, समय में होता उनका नाश
समय से पृथ्वी का आकर्षण, और समय से है आकाश
समय बनाता ब्रह्मांडो को, समय बदलता ग्रहों की चाल
समय बीज को वृक्ष बनाये, समय बना दे लघु- विशाल

समय की यात्रा करने हेतु जीव जगत में आता है
समय की माया देख-देख, वह मन ही मन हर्षाता है
समय बनाता मित्र और शत्रु, समय बनाता सगे-पराये
समय उसे संघर्ष है देता, कभी डूबा दे, कभी तराये

समय में चलते जाओ, जैसे मुक्त नदी कोई बहती है
समय पे होती सारी घटना, चूंक कहाँ कोई रहती है
समय है चलता जाता, उसको रोक कहाँ कोई सकता है
जीव है थकता, जीवन थकता, समय नहीं पर थकता है

- हर्षवर्धन व्यास
theharshvardhanvyas@gmail.com

 

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