देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।

दो लघु-कथाएँ  (कथा-कहानी)

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Author: डॉ. पूरन सिंह

मेकअप

मिसेज वालिया कहीं भी जाएं मेकअप करवाने मेरे ही ब्यूटी पार्लर में आती हैं । उस दिन भी आई थीं । गाड़ी भी अच्छी तरह से पार्क नहीं की उन्होंने और लगभग हांफ सी रही थीं । वे सफेद साड़ी, सफेद चूड़ियां, सफेद ही चप्पल पहनी थीं।

'प्लीज ..प्लीज आज बहुत जल्दी में हूं । जितनी जल्दी हो मुझे तैयार कर दे ... मेरी बहन । एक जगह जाना है ।' उनकी हड़बड़ाहट अपने चरम पर थी ।

'कहां जाना है दीदी ?'

'अरे क्या बताऊं तुझे .. वो मेरी छोटी बहिन है ना ... अरे वही लवली! उसका ना...देवर.... उसका देवर एक एक्सीडेट में ........ । उसकी डैडबॉडी घर आ गई है । अफसोस करने के लिए जाना है ... बहुत हल्का सा... आई मीन लाइट .. बस लाइट सा कर दे....! अरे जल्दी कर दे ना मेेरी मां! लेकिन ध्यान रहे .....जल्दी करने में मेकअप खराब नहीं लगना चाहिए.... ध्यान रखना मेकअप साड़ी ब्लाउज और चूड़ियों से मैच करे.....तू समझ रही है ना ?'

मिसेज वालिया की जल्दी को देखते हुए, मैं मेकअप करने में जुट गई थी ।

- डॉ. पूरन सिंह

 

(२)

अनशन

अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार के विरोध में अनशन जारी था । वे और उनकी कम्पनी लोकपाल बिल लाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए जमीन आसमान एक किए दे रहे थे। मुझे उनकी बात ठीक लगी इसीलिए मैं उनसे मिलना चाहता था । विशाल भीड़ में उन तक पहुंचना मुश्किल था । उनके समर्थक ब्लैक कैट कमांडो की तरह उनके आस-पास मंडरा रहे थे । अब ऐसे में उनसे कैसे मिला जाए ! मैं सोच रहा था। तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया बिलबिलाया था, ‘अरे भैया, अन्ना जी के चरण स्पर्श करना चाहता था ।' उनके बहुत पास खडे़ उनके ही सुरक्षा गार्ड से मैंने हाथ जोड़ते हुए विनय की थी ।

'उनसे नहीं मिल सकते ।' तीर के समान जबाव था उसका ।

'कुछ भी करो यार...मुझे उस महान आत्मा के चरण स्पर्श करवा दो ।' मैं कहां मानने वाला था ।

'अच्छा ठीक है....इधर आओ ।' उसने एक आंख दबाते हुए मुझसे कहा था । मैं उसके बताए हुए स्थान की ओर उससे मिलने पहुंच गया था ।

'मिले बिना मानोगे नहीं ।' वह बोला था ।

'यार .........।'

'तो दो सौ रूपए ढीले करो ।' उसने दो अंगुलियां नचाते हुए कहा था । मैने दो सौ रूपए उसे थमा दिए थे ।

और कुछ ही पलों में, मैं भ्रष्टाचार के विरोध में युद्ध लड़ रहे महाबली अन्ना जी के चरणों में अपना सिर रखे उन्हें वंदन कर रहा था ।

- डॉ. पूरन सिंह

ई-मेल: drpuransingh64@gmail.com

 

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