यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।

मृत्युंजय (कथा-कहानी)

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Author: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

आतंकवादियों से लड़ते समय शहीद हुए सैनिक के शव का जैसे ही गाँव के पास पहुँचने का सन्देश मिला, तो पूरे परिवार के सब्र का बाँध टूट गया। उसकी माँ और पत्नी कर क्रंदन हृदय विदारक था।

जब से उसकी शहादत का पता चला था, उसी समय से उसकी पत्नी उसकी तस्वीर को लेकर केवल रो ही रही थी। अपनी उस तस्वीर पर शहीद सैनिक ने अपने ही हाथ से लिखा था - 'मैं' ।

उस विलाप में एक दूसरी महिला बिलखती हुई बोली, "इतनी सी उम्र में देश पर कुरबान हो गया, अभी तो ज़िन्दगी देखी ही कितनी थी..."

एक अन्य महिला ने उसकी पत्नी को देखते हुए कहा, "कोई बेटा भी नहीं है, किस आसरे से जियेगी ये?"

उसी समय उस शहीद सैनिक की बेटी वहां आई, और अपनी माँ का चेहरा अपने दोनों में हाथों में ले लिया। आंसूओं से भरी थकी हुई आँखों से माँ ने अपनी बेटी को देखा तो आँखें नहीं हटा पायी।

उसकी बेटी एक सैनिक की वेशभूषा में थी, ठीक उसी तरह जिस तरह शहीद सैनिक रहता था। उसकी बेटी ने रूंधे गले से कहा, "माँ, पापा देश के लिए शहीद हुए हैं... मुझे गर्व है उन पर... लेकिन जिन लोगों ने उनको... पापा जैसी बनकर मैं उनसे बदला लूंगी..."

कहते-कहते बेटी की आँखें लाल होने लगीं थी। उसने माँ के हाथ में रखी तस्वीर को एक सैनिक की तरह जोश के साथ सैल्यूट किया, वहीं पास रखी सिन्दूर की डिबिया उठाई, उसमें से सिन्दूर निकाल कर अपनी अंगुली पर लिया, और तस्वीर में लिखे ‘मैं' के आगे लिख दिया - ‘हूँ'।

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान)
जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर (राजस्थान)
फोन - 99285 44749

ई-मेल -chandresh.chhatlani@gmail.com
वेबसाइट - http://chandreshkumar.wikifoundry.com

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लेखक परिचय: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान)
जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर (राजस्थान)

पता - 3 प 46, प्रभात नगर, सेक्टर - 5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) - 313002

फोन - 99285 44749
ई-मेल -chandresh.chhatlani@gmail.com
यू आर एल - http://chandreshkumar.wikifoundry.com

लेखन - लघुकथा, पद्य, कविता, ग़ज़ल, गीत, कहानियाँ, लेख, पत्र

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