कवि
कवि तुम
कुम्हार हो क्या?
धरते रहते हो चाक पर
अपनी पराई पीड़ाएं
और गढ़ जाती हैं
कविताएं ।
- अमिता शर्मा
#
अतिथि सत्कार
अतिथि सत्कार का,
अनुभव है 'लेटैस्ट'।
भूत समझकर चीख पड़े,
देख लिए जब 'गेस्ट'।
- अमिता शर्मा
अमिता शर्मा की क्षणिकाएं (काव्य) |
कवि तुम
कुम्हार हो क्या?
धरते रहते हो चाक पर
अपनी पराई पीड़ाएं
और गढ़ जाती हैं
कविताएं ।
- अमिता शर्मा
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अतिथि सत्कार का,
अनुभव है 'लेटैस्ट'।
भूत समझकर चीख पड़े,
देख लिए जब 'गेस्ट'।
- अमिता शर्मा