अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

अमिता शर्मा की क्षणिकाएं  (काव्य)

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Author: अमिता शर्मा

कवि

कवि तुम
कुम्हार हो क्या?
धरते रहते हो चाक पर
अपनी पराई पीड़ाएं
और गढ़ जाती हैं
कविताएं ।

- अमिता शर्मा

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अतिथि सत्कार

अतिथि सत्कार का,
अनुभव है 'लेटैस्ट'।
भूत समझकर चीख पड़े,
देख लिए जब 'गेस्ट'।

- अमिता शर्मा

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