अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

भारत-दर्शन संकलन | Collections

Print page
   

हर इक मकां में जला फिर दिया दिवाली का
हर इक तरफ को उजाला हुआ दिवाली का
सभी के दिन में समां भा गया दिवाली का
किसी के दिल को मजा खुश लगा दिवाली का
अजब बहार का है दिन बना दिवाली का।

जहाँ में यारो अजब तरह का है यह त्योहार
किसी ने नकद लिया और कोई करे उधार
खिलौने खीलों बतासी का गर्म है बाजार
हरइक दुकां में चिरागों की हो रही है बहार
सभों को फिक्र है अब जा यना दिवाली का।

मिठाइयों की दुकानें लगा के हलवाई
पुकारते है कि लाला दिवाली है आई
बतासे ले कोई बर्फी किसी ने तुलवाई
खिलौने वालों की उनसे ज़ियादा बन आई
गोया उन्हो के बां' राज आ गया दिवाली का।

सराफ़ हराम की कौड़ी का जिनका है व्योपार
उन्हींने खाया है इस दिन के वास्ते ही उधार
कहे है हँसके कर्जख्वाह' से हरइक इक बार
दिवाली आई है सब दे चुकायेंगे अय यार
खुदा के फ़ज्ल से है आसरा दिवाली का।

मकान लीप के ठिलिया जो कोरी रखवाई
जला च्रिराग को कौड़ी के जल्द झनकाई
असल जुआरी थे उनमें तो जान सी आई
खुशी से कूद उछलकर पुकारे ओ भाई
शगून पहले, करो तुम जरा दिवाली का ।

किसी ने घर की हवेली गिरी रखा हारी
जो कुछ थी जिन्स मुयस्सर जरा जरा हारी
किसी ने चीज किसी की चुरा छुपा हारी
किसी ने गठरी पड़ोसन की अपनी ला हारी
यह हार जीत का चर्चा पड़ा दिवाली का।

ये बातें सच है न झूठ इनको जानियो यारो
नसीहतें है इन्हें मन में ठानियो यारो
जहां को जाओ यह किस्सा बखानियो यारो
जो जुआरी हो न बुरा, उसका मानियो यारो
'नज़ीर' आप भी है ज्वारिया दिवाली का।

-'नज़ीर' अकबराबादी

 

Back
 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश