अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
फणीश्वरनाथ रेणु जयंती | 4 मार्च
 
 

Phanshiwar Nath Renu

फणीश्‍वर नाथ रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 को औराडी हिंगन्ना, जिला पूर्णियां, बिहार में हुआ।

1954 में 'मैला आँचल' उपन्यास प्रकाशित हुआ तत्पश्चात् हिन्दी के कथाकार के रूप में अभूतपूर्व प्रतिष्ठा मिली। हिन्दी आंचलिक कथा लेखन में सर्वश्रेष्ठ।

11 अप्रैल, 1977 को पटना में अंतिम सांस ली।

 

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स्कूल ना आने का कारण | फणीश्वरनाथ रेणु का संस्मरण


फणीश्वरनाथ रेणु बचपन से ही तुकबंदियां करते थे। वे विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों में सम्मिलित होते। इस कारण कभी-कभी स्कूल से भी अनुपस्थित रहते। एक बार उनके शिक्षक ने स्कूल नहीं आने का कारण पूछा तो रेणु ने इसका तुकबंदी में जवाब दिया-

'वाटर रेनिंग झमाझम
पैर फिसल गया
गिर गये हम
देअरफोर सर
आई कुडनॉट कम!'

 
होली

साजन! होली आई है!
सुख से हँसना
जी भर गाना
मस्ती से मन को बहलाना
पर्व हो गया आज-
साजन ! होली आई है!
हँसाने हमको आई है!

 

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