मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर। - चंद्रबली पांडेय।
 

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मेरा नया बचपन

बार-बार आती है मुझको
मधुर याद बचपन तेरी।
गया, ले गया तू जीवन की
सबसे मस्त खुशी मेरी।।

चिंता-रहित खेलना-खाना
वह फिरना निर्भय स्वच्छंद।
कैसे भूला जा सकता है
बचपन का अतुलित आनंद?

ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था
...

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विजयादशमी

विजये ! तूने तो देखा है,
वह विजयी श्री राम सखी !
धर्म-भीरु सात्विक निश्छ्ल मन
वह करुणा का धाम सखी !!

बनवासी असहाय और फिर
हुआ विधाता वाम सखी !
हरी गई सहचरी जानकी
वह व्याकुल घनश्याम सखी !।

कैसे जीत सका रावण को
...

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पानी और धूप

अभी अभी थी धूप, बरसने
लगा कहाँ से यह पानी
किसने फोड़ घड़े बादल के
की है इतनी शैतानी।

सूरज ने क्‍यों बंद कर लिया
अपने घर का दरवाजा़
उसकी माँ ने भी क्‍या उसको
बुला लिया कहकर आजा।

ज़ोर-ज़ोर से गरज रहे हैं
...

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तीन बच्चे

मेरे बच्चों में से प्रत्येक ने अपने लिए एक-एक बगीचा लगाया था। बगीचा क्या, 'फूलों की छोटी-छोटी क्यारियाँ थीं। एक दिन सवेरे हम लोगों ने देखा कि उन क्यारियों में फूल खिल आए हैं।

बच्चे ही तो ठहरे। हर एक को अपनी-अपनी क्यारी के फूल अधिक सुंदर जान पड़े। और इसी बात पर उन लोगों में लड़ाई छिड़ गई। हर एक का कहना था कि उसकी क्यारी के फूल सबसे सुंदर हैं।

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