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लघुकथाएं |
लघु-कथा, *गागर में सागर* भर देने वाली विधा है। लघुकथा एक साथ लघु भी है, और कथा भी। यह न लघुता को छोड़ सकती है, न कथा को ही। संकलित लघुकथाएं पढ़िए -हिंदी लघुकथाएँ व प्रेमचंद की लघु-कथाएं भी पढ़ें। |
Articles Under this Category |
सुधार - हरिशंकर परसाई | Harishankar Parsai |
एक जनहित की संस्था में कुछ सदस्यों ने आवाज उठाई, 'संस्था का काम असंतोषजनक चल रहा है। इसमें बहुत सुधार होना चाहिए। संस्था बरबाद हो रही है। इसे डूबने से बचाना चाहिए। इसको या तो सुधारना चाहिए या भंग कर देना चाहिए। |
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मैं हिंदोस्तान हूँ | लघु-कथा - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
मैंने बड़ी हैरत से उसे देखा। उसका सारा बदन लहूलुहान था व बदन से मानों आग की लपटें निकल रही थीं। मैंने उत्सुकतावश पूछा, "तुम्हें क्या हुआ है?" |
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इश्तहार | लघु-कथा - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
"मेरा बहुत सा क़ीमती सामान जिसमें शांति, सद्भाव, राष्ट्र-प्रेम, ईमानदारी, सदाचार आदि शामिल हैं - कहीं गुम गया है। जिस किसी सज्जन को यह सामान मिले, कृपया मुझ तक पहुँचाने का कष्ट करे। |
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दूसरा रुख | लघु-कथा - रोहित कुमार 'हैप्पी' |
चित्रकार दोस्त ने भेंट स्वरूप एक तस्वीर दी। आवरण हटा कर देखा तो निहायत ख़ुशी हुई, तस्वीर भारत माता की थी। माँ-सी सुन्दर, भोली सूरत, अधरों पर मुस्कान, कंठ में सुशोभित ज़ेवरात, मस्तक को और ऊँचा करता हुआ मुकुट व हाथ में तिरंगा। |
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स्वतंत्रता-दिवस | लघु-कथा - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
महानगर का एक उच्च-मध्यम वर्गीय परिवार। |
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राष्ट्र का सेवक | लघु-कथा - मुंशी प्रेमचंद | Munshi Premchand |
राष्ट्र के सेवक ने कहा- देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीच नहीं, कोई ऊँच नहीं। |
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तीन दृष्टियाँ | बोधकथा - कन्हैया लाल मिश्र 'प्रभाकर' | Kanhaiyalal Mishra 'Prabhakar' |
चंपू, गोकुल और वंशी एक महोत्सव में गये। |
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