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कविताएं |
देश-भक्ति की कविताएं पढ़ें। अंतरजाल पर हिंदी दोहे, कविता, ग़ज़ल, गीत क्षणिकाएं व अन्य हिंदी काव्य पढ़ें। इस पृष्ठ के अंतर्गत विभिन्न हिंदी कवियों का काव्य - कविता, गीत, दोहे, हिंदी ग़ज़ल, क्षणिकाएं, हाइकू व हास्य-काव्य पढ़ें। हिंदी कवियों का काव्य संकलन आपको भेंट! |
Articles Under this Category |
माँ - जगदीश व्योम |
माँ कबीर की साखी जैसी |
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माँ कह एक कहानी - मैथिलीशरण गुप्त | Mathilishran Gupt |
"माँ कह एक कहानी।" |
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कर्त्तव्यनिष्ठ - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
एक ने फेसबुक पर लिखा - |
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नहीं मांगता - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore |
नहीं मांगता, प्रभु, विपत्ति से, |
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सुख-दुख | कविता - सुमित्रानंदन पंत | Sumitranandan Pant |
मैं नहीं चाहता चिर-सुख, |
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बाँध दिए क्यों प्राण - सुमित्रानंदन पंत | Sumitranandan Pant |
सुमित्रानंदन पंत की हस्तलिपि में उनकी कविता, 'बाँध दिए क्यों प्राण' |
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स्वप्न बंधन - सुमित्रानंदन पंत | Sumitranandan Pant |
बाँध लिया तुमने प्राणों को फूलों के बंधन में |
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अरे भीरु - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore |
अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार |
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कड़वा सत्य | कविता - विष्णु प्रभाकर | Vishnu Prabhakar |
एक लंबी मेज |
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अनसुनी करके - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore |
अनसुनी करके तेरी बात |
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शब्द और शब्द | कविता - विष्णु प्रभाकर | Vishnu Prabhakar |
समा जाता है |
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मायने रखता है ज़िंदगी में - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
किसी का आना |
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गीतांजलि - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore |
यहाँ हम रवीन्द्रनाथ टैगोर (रवीन्द्रनाथ ठाकुर) की सुप्रसिद्ध रचना 'गीतांजलि'' को श्रृँखला के रूप में प्रकाशित करने जा रहे हैं। 'गीतांजलि' गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर (1861-1941) की सर्वाधिक प्रशंसित रचना है। 'गीतांजलि' पर उन्हें 1910 में नोबेल पुरस्कार भी मिला था। |
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दिन अँधेरा-मेघ झरते | रवीन्द्रनाथ ठाकुर - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore |
यहाँ रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रचना "मेघदूत' के आठवें पद का हिंदी भावानुवाद (अनुवादक केदारनाथ अग्रवाल) दे रहे हैं। देखने में आया है कि कुछ लोगो ने इसे केदारनाथ अग्रवाल की रचना के रूप में प्रकाशित किया है लेकिन केदारनाथ अग्रवाल जी ने स्वयं अपनी पुस्तक 'देश-देश की कविताएँ' के पृष्ठ 215 पर नीचे इस विषय में टिप्पणी दी है। |
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चल तू अकेला! | रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कविता - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore |
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला, |
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लोगे मोल? | कविता - नागार्जुन | Nagarjuna |
लोगे मोल? |
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आजाद की मातृभूमि - संजय वर्मा |
अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली भाभरा को चंद्रशेखर आजाद नगर घोषित किये जाने पर समर्पित कविता :- |
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महाकवि रवीन्द्रनाथ के प्रति - केदारनाथ अग्रवाल | Kedarnath Agarwal |
महाकवि रवीन्द्रनाथ के प्रति |
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आज भी खड़ी वो... - सपना सिंह ( सोनश्री ) |
निराला की कविता, 'तोड़ती पत्थर' को सपना सिंह (सोनश्री) आज के परिवेश में कुछ इस तरह से देखती हैं: |
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छवि नहीं बनती - सपना सिंह ( सोनश्री ) |
निराला पर सपना सिंह (सोनश्री) की कविता |
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