जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।

हँसी का इनजेक्सन | बाल कविता

 (बाल-साहित्य ) 
Print this  
रचनाकार:

 दिविक रमेश

दादा-पोता संवाद

क्या होता है बी.पी दादू
हुआ आपको सब कहते जो?
मुस्कान देख कर तेरी बस 
दौड़ कहीं पर जाता है जो।

पर बेचैन आपको करता
कहती दादी मुझको दादू।
अरे नहीं, ये बी.पी क्या हॆ
बहुत स्ट्रांग हैं तेरे दादू।

‘अच्छा फिर तो पिट्टी कर दो
बी.पी. की अब झट से दादू।‘

‘पर इनजेक्सन ज़रा हँसी का
पहले आकर मुझे लगा तू!’

-दिविक रमेश 

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश