हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है। - शारदाचरण मित्र।

'स-सार' संसार

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' | Ayodhya Singh Upadhyaya Hariaudh

है असार संसार नहीं।
यदि उसमें है सार नहीं तो सार नहीं है कहीं। 
जहाँ ज्योति है परम दिव्य, दिव्यता दिखाई वहीं; 
क्या जगमगा नहीं ए बातें तारक-चय ने कहीं? 
दिखलाकर अगाधता विभु की निधि-धारायें बहीं; 
कब न छटायें उसकी सब छिति तल पर छिटकी रहीं? 
दिव्य दृष्टि सामने आवरण-भीतें सब दिन ढहीं; 
अधिक क्या कहें, मुक्ति मुक्त मानव ने पाई यहीं।

-अयोध्याप्रसाद सिंह ‘हरिऔध’

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